सस्ते किराए में हवाई यात्रा करवाने का दावा करने वाली उड़ान योजना निराशाजनक रही है। देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट में रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम की तीन चरणों में जांच की गई।
इसमें सामने आया है कि उड़ान योजना के तहत देशभर में कुल 774 रूट्स चुने गए थे, लेकिन 403 रूट्स पर उड़ान शुरू नहीं हो पाई। जिन 371 रूट पर संचालन शुरू हुआ, उनमें से सिर्फ 112 रूट ही 3 साल ऑपरेशन जारी रख पाए। ज्यादातर रूट्स इससे पहले ही बंद हो गए। मार्च 2023 तक आते-आते सिर्फ 54 रूट्स पर संचालन टिका रहा।
उड़ान योजना 2017 में लॉन्च हुई थी। इसका उद्देश्य दूर दराज के इलाकों को हवाई मार्ग से जोड़ना और छोटे शहरों में कनेक्टिविटी बेहतर करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने योजना को लॉन्च करते समय कहा था कि इससे टूरिज्म सेक्टर को भी फायदा होगा। योजना का स्लोगन था- उड़े देश का आम नागरिक।
116 में से 83 एयरपोर्ट पर संचालन शुरू नहीं हुआ
कैग ने उड़ान योजना के सफल नहीं होने के कारण भी बताए हैं। उड़ान योजना के लिए चुने गए एयरपोर्ट व एयरस्ट्रिप का समय पर विकास या सुधार नहीं हो पाया। ऐसे कुल 116 एयरपोर्ट और एयरस्ट्रिप थे। इनमें से 83 पर संचालन शुरू नहीं हो पाया। सरकार ने इन एयरपोर्ट्स पर कुल 1089 करोड़ रु. खर्च किए हैं।
छोटे रूट फेल, लंबे रूट पर भी पूरे यात्री नहीं मिल रहे
दूरी | रूट | ऑक्यूपेंसी |
200 किमी से कम | 26 | 38% |
200 से 400 किमी | 97 | 51% |
400 किमी से अधिक | 208 | 67% |
400 किमी से ज्यादा दूरी के रूट्स पर ही योजना टिकी रह पाई।
टिकट बुकिंग में भी धांधली, इससे यात्री ठगे गए
रीजनल कनेक्टिविटी योजना में प्रावधान था कि ऑपरेटर पहले रियायती किराए वाले टिकट बेचेंगे। बाद में गैर रियायती टिकट बेच पाएंगे। CAG ने स्पाइस जेट, इंडिगो आदि के टिकटिंग सिस्टम की पड़ताल की।
इससे पता चला कि रियायती दरों वाली सीटों की उपलब्धता नहीं बताई जा रही थी। लिहाजा यात्रियों को पता नहीं चल पाया कि रियायती सीटों की उपलब्धता कितनी है। टिकट बुकिंग में पारदर्शिता की कमी अभी बरकरार है।
उड़ान रूट्स पर यात्रियों की संख्या करीब 10 गुना बढ़ी, बाद में घटी
साल | उड़ान रूट यात्री |
2017-18 | 2.63 लाख |
2018-19 | 12.40 लाख |
2019-20 | 29.91 लाख |
2020-21 | 14.98 लाख |
2021-22 | 32.99 लाख |
2022-23 | 24.97 लाख |
Source: ln.run/UwJsE