दुनियाभर में एक अगस्त की रात को सुपरमून दिखाई दिया। इस दौरान चंद्रमा का आकार सामान्य से 14% बड़ा दिखाई दिया। चांद 30% ज्यादा चमकीला भी नजर आया।
सुपरमून तब होता है, जब पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है। इस वजह से चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इस सुपरमून को देखने पर ऐसा लगा जैसे यह पृथ्वी के करीब आ रहा है।
एक अगस्त को चांद पृथ्वी से 3,57,264 किलोमीटर दूर रहा। जबकि आमतौर पर यह सबसे दूर 4,05,000 किलोमीटर और सबसे करीब 3,63,104 किलोमीटर दूर होता है।
इसी महीने 30 अगस्त की रात को भी सुपरमून होगा जिसे ब्लूमून कहा जाएगा। चांद को ब्लू मून तब कहते हैं जब एक ही महीने में 2 सुपरमून नजर आते हैं। आखिरी बार 2 सुपरमून एक साथ अगस्त के महीने में साल 2018 में नजर आए थे और अगली बार ऐसा साल 2027 में होगा।
यह होता है सुपरमून
सुपरमून एक ऐसी खगोलीय घटना है, जिसमें चांद अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा दिखाई देता है। सुपरमून हर साल तीन से चार बार देखा जाता है।
सुपरमून दिखने की वजह भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, इस दौरान चांद धरती का चक्कर लगाते-लगाते उसकी कक्षा के बेहद करीब आ जाता है। इस स्थिति को पेरिजी (Perigee) कहा जाता है। वहीं, चांद के धरती से दूर जाने पर उसे अपोजी (Apogee) कहते हैं। एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने पहली बार 1979 में सुपरमून शब्द का इस्तेमाल किया था।
पूर्णिमा और सुपरमून में क्या रिश्ता है?
हर 27 दिन में चांद पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है। 29.5 दिन में एक बार पूर्णिमा भी आती है। हर पूर्णिमा को सुपरमून नहीं होता, पर हर सुपरमून पूर्णिमा को ही होता है। चांद पृथ्वी के आसपास अंडाकार रेखा में चक्कर लगाता है, इसलिए पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी हर दिन बदलती रहती है।
जुलाई में होता है सुपर बक मून
जुलाई में दिखने वाले सुपरमून को बक (हिरण) मून भी कहते हैं।
जुलाई में नजर आने वाले सुपरमून को बक मून भी कहा जाता है। हिंदी में बक का मतलब वयस्क नर हिरण होता है। ऐसा साल के उस समय के संदर्भ में कहा जाता है, जब हिरणों के नए सींग उगते हैं। वहीं, कुछ जगहों में जुलाई के सुपरमून को थंडर मून भी कहा जाता है, क्योंकि इस महीने में बादल गरजना और बिजली कड़कना आम बात है।
Source: ln.run/5II1B