कोर्ट का फ़ैसला:आख़िरकार राहुल गांधी के लिए लोकसभा जाने का रास्ता खुला

राहुल गांधी

साढ़े चार महीने बाद ही सही, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए लोकसभा जाने का रास्ता खुल गया है। मोदी सरनेम को लेकर दिए गए राहुल के बयान मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोष सिद्धि पर रोक लगा दी है। इसके पहले निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उनकी दो साल की सजा पर मुहर लगाई थी।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फ़ैसला सुनवाई पूरी होने पर ही आएगा, लेकिन फ़िलहाल चूँकि दोष सिद्धि पर ही रोक लगा दी गई है, इसलिए राहुल गांधी की सांसदी बहाल हो जाएगी। अंतिम फ़ैसला भी राहुल के पक्ष में आता है तो वे अगला चुनाव भी लड़ सकेंगे।

निचली अदालत के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि आख़िर इस मामले में राहुल गांधी को अधिकतम सजा ही क्यों दी गई? अगर निचली अदालत ने उन्हें दोषी ही माना था तो एक साल, ग्यारह महीने की सजा भी तय की जा सकती थी। इससे कम से कम उनकी सांसदी बहाल रह सकती थी।

3 अप्रैल को राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई की याचिका दाखिल की थी। यह तस्वीर उसी दिन की है।

3 अप्रैल को राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई की याचिका दाखिल की थी। यह तस्वीर उसी दिन की है।

कोर्ट ने कहा कि अधिकतम सजा के चलते एक लोकसभा सीट बिना सांसद के रह गई और यह केवल एक व्यक्ति या नेता के अधिकार का मामला नहीं है, उस लोकसभा सीट के लाखों मतदाताओं के अधिकार का सवाल भी है।

यह सच है कि भाषण में राहुल गांधी ने जो कुछ भी कहा था, वह ठीक नहीं था। नेताओं को बोलते वक्त सावधानी रखनी ही चाहिए लेकिन इसके लिए अधिकतम सजा ही देना एक तरह से ठीक नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट की सुनवाई के दौरान जब राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मेरी दलीलें ख़त्म होने के 66 दिन तक कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा। अभी तक उस ख़ाली सीट पर चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया। शायद उन्हें लगता होगा कि फ़िलहाल वहाँ उनकी जीत के चांस काफ़ी कम हैं।

राहुल गांधी को 23 मार्च को गुजरात की निचली कोर्ट ने मानहानि मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी। (फाइल फोटो)

राहुल गांधी को 23 मार्च को गुजरात की निचली कोर्ट ने मानहानि मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी। (फाइल फोटो)

इस पर कोर्ट ने कहा वकील साहब यहाँ राजनीतिक भाषण मत दीजिए। इसे आप राज्यसभा के लिए बचाए रखिए। बहरहाल, राहुल गांधी की सांसदी फ़िलहाल तो बच गई है। लेकिन अब वे फिर कोई ऐसा बयान नहीं देंगे, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

वैसे भी इस तरह के बयानों को लेकर उनके ख़िलाफ़ देश की अलग- अलग अदालतों में कई अन्य मुक़दमे भी चल रहे हैं। महाराष्ट्र, झारखण्ड और असम में ऐसे कुछ केस पहले से हैं। देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फ़ैसला क्या होगा और अलग- अलग अदालतों में राहुल के खिलाफ चल रहे अन्य मामलों में उन्हें सजा होगी या नहीं? होगी तो कितनी?

Source: ln.run/ZtzSN

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