राफेल फाइटर प्लेन में स्वदेशी हथियार चाहती है एयरफोर्स:फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी से कहा- स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन फिट करें; अस्त्र मिसाइल भी लगाएं

राफेल फाइटर प्लेन

भारतीय वायुसेना ने फ्रांस की एविएशन कंपनी दसॉ (Dassault) से राफेल फाइटर प्लेन लड़ाकू विमान में ‘अस्त्र’ एयर-टू-एयर मिसाइल जैसे स्वदेशी हथियारों को लगाने को कहा है।

इस कदम को डिफेंस एरिया में ‘मेक इन इंडिया’ के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि इसके बाद भारत में बने हथियारों के लिए ग्लोबल मार्केट खुल जाएगा।

राफेल फाइटर प्लेन को 2020 में एयरफोर्स में शामिल किया गया था। भारत के पास फिलहाल 36 राफेल हैं। दसॉ 90 देशों में 10 हजार से ज्यादा फाइटर प्लेन सप्लाई करती है।

भारत के अलावा फ्रांस, मिस्र, कतर के पास भी राफेल हैं। वहीं, ग्रीस, क्रोएशिया, UAE और इंडोनेशिया ने राफेल के लिए ऑर्डर दिए हैं।

स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन लगाने की मांग
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने दसॉ एविएशन से स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) और अस्त्र एयर-टू-एयर मिसाइल जैसे भारत में बने हथियारों को राफेल के साथ असेंबल करने के लिए कहा है। इन हथियारों को DRDO ने बनाया है।

इन मिसाइलों और बमों के अलावा आने वाले समय में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों के लंबी दूरी के ग्लाइड बमों और कई स्वदेशी हथियारों को राफेल में फिट करने की प्लानिंग है।

अस्त्र और SAAW की खासियत…

  • अस्त्र हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी रेंज 100 किमी है। अस्त्र मार्क-2 में इस रेंज को 160 किमी तक बढ़ाया जाएगा। इसका एडवांस्ड वर्जन 300 किमी की मारक क्षमता वाला होगा।
  • स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन यानी SAAW, 100 किमी से ज्यादा दूरी तक का टारगेट भी भेद सकता है। इसका भी एडवांस्ड वर्जन डेवलप किया जा रहा है।

सुखोई में हो रहा है भारतीय हथियारों का इस्तेमाल
इंडियन वेपन सिस्टम का इस्तेमाल पहले से ही सुखोई (Su-30 MKI) और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस में हो रहा है। अधिकारियों ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने ऐसी मिसाइलें और बम भी बनाए हैं, जो लंबी दूरी से वार कर सकते हैं और राफेल पर लगाए जा सकते हैं।

एयरफोर्स के बाद नेवी के लिए भी खरीदे जा सकते हैं 26 राफेल
भारत नेवी के लिए फ्रांस से 26 राफेल-M यानी मैरीटाइम लड़ाकू विमान खरीद सकता है। नौसेना ने पिछले दिनों औपचारिक रूप से रक्षा मंत्रालय को 5 से 6 बिलियन डॉलर यानी 41 से 49 हजार करोड़ रुपए में राफेल-M लड़ाकू विमान खरीदने के अपने इरादे के बारे में बताया था।

राफेल-M यानी राफेल का नौसेना वर्जन। इसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स यानी एयरक्राफ्ट धारक पोत पर तैनात करने के हिसाब से तैयार किया गया है। अगर यह डील होती है तो राफेल-M लड़ाकू विमान की तैनाती INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर हो सकती है। इन दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर पर फिलहाल मिग-29 लड़ाकू विमान तैनात हैं।

Source: ln.run/D_Gar

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