चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा:ISRO चीफ बोले- सफर शुरू हो गया, 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे लैंडिंग होगी

चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा:ISRO चीफ बोले- सफर शुरू हो गया, 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे लैंडिंग होगी

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया। आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया।

16 मिनट बाद चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने लॉन्च के बाद कहा कि यान ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। अगर सब कुछ प्लान के अनुसार रहा तो 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे यह चांद पर उतरेगा।

चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।

आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया।

आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया।

लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद चंद्रयान-3 को रॉकेट ने पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया।

लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद चंद्रयान-3 को रॉकेट ने पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इसरो गैलरी में मौजूद थे।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इसरो गैलरी में मौजूद थे।

चंद्रयान-3 की सक्सेसफुल लॉन्चिंग के बाद मिशन कंट्रोल रूम में तालियां बजाई गईं।

चंद्रयान-3 की सक्सेसफुल लॉन्चिंग के बाद मिशन कंट्रोल रूम में तालियां बजाई गईं।

लॉन्चिंग के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (दाएं) ने चंद्रयान का मोमेंटो इसरो चीफ एस सोमनाथ (बाएं) को दिया।

लॉन्चिंग के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (दाएं) ने चंद्रयान का मोमेंटो इसरो चीफ एस सोमनाथ (बाएं) को दिया।

चंद्रयान की लॉन्चिंग से पहले मिशन कंट्रोल रूम में इसरो चीफ एस सोमनाथ (दाएं से तीसरे) के साथ बैठे अन्य साइंटिस्ट।

चंद्रयान की लॉन्चिंग से पहले मिशन कंट्रोल रूम में इसरो चीफ एस सोमनाथ (दाएं से तीसरे) के साथ बैठे अन्य साइंटिस्ट।

भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा
अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली यानी मिशन सक्सेसफुल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे। चीन 2013 में चांग’ई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है।

प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर कुछ इस तरह से 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा।

प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर कुछ इस तरह से 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा।

आदिपुरुष फिल्म के बजट से सस्ता चंद्रयान-3
बिना लॉन्चिंग कॉस्ट के चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है, जबकि हाल ही में आई फिल्म आदिपुरुष का बजट 700 करोड़ रुपए था। यानी चंद्रयान-3 इस मूवी की कॉस्ट से करीब 85 करोड़ रुपए सस्ता है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। वहीं इसकी लॉन्चिंग पर 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की सक्सेसफुल लॉन्चिंग के बाद इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय बताया। उन्होंने ये भी कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं!

अब चंद्रयान मिशन से जुड़े 4 जरूरी सवालों के जवाब…

1. इस मिशन से भारत को क्या हासिल होगा?
इसरो के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित कहते हैं कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा जो कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगा। भारत ने अपने हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 से चंद्रयान को लॉन्च किया है। इस व्हीकल की काबिलियत भारत पहले ही दुनिया को दिखा चुका है।

बीते दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में अपना इंटरेस्ट दिखाया था। ब्लू ओरिजिन LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए करना चाहता है। LVM3 के जरिए ब्लू ओरिजिन अपने क्रू कैप्सूल को प्लान्ड लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) स्पेस स्टेशन तक ले जाएगा।

इसरो के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित ने कहा कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है।

इसरो के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित ने कहा कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है।

2. साउथ पोल पर ही मिशन क्यों भेजा जा रहा?
चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था।

इस मिशन की लैंडिंग साइट चंद्रयान-2 जैसी ही है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर। लेकिन इस बार एरिया बढ़ाया गया है। चंद्रयान-2 में लैंडिंग साइट 500 मीटर X 500 मीटर थी। अब, लैंडिंग साइट 4 किमी X 2.5 किमी है।

अगर सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट बन जाएगा। चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी स्पेसक्राफ्ट भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं।

चंद्रमा के साउथ पोल पर कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है।

चंद्रमा के साउथ पोल पर कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है।

3. इस बार लैंडर में 5 की जगह 4 इंजन क्यों?
इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो हैं, लेकिन पिछली बार बीचो-बीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया है। फाइनल लैंडिंग दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें। चंद्रयान 2 मिशन में आखिरी समय में पांचवां इंजन जोड़ा गया था। इंजन इसलिए हटाया गया है, ताकि ज्यादा फ्यूल साथ ले जाया जा सके।

4. 14 दिन का ही मिशन क्यों होगा?
मनीष पुरोहित ने बताया कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन करेंगे। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

Source: ln.run/wVIx8

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