भारत जल्द ही डिजिटल इंडिया एक्ट (DIA) को लागू करने का प्लान बना रहा है। देश के इस प्लान को मंगलवार (18 जुलाई) को सीनियर ऑस्ट्रेलियाई सांसद और एंटीट्रस्ट रेगुलेशन कैंपेनर पॉल फ्लेचर के स्टेटमेंट से बल मिला। पॉल फ्लेचर ने अपने देश के 2021 न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड की सक्सेस स्टोरी बताई। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसे भारत में भी दोहराया जाना चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया ऐसा कर सकता है, तो भारत भी कर सकता है
भारत में अभी तक टेक कंपनियों और न्यूज मीडिया आउटलेट्स के बीच रेवेन्यू-शेयरिंग को कंट्रोल करने वाला कोई कानून नहीं है। हालांकि, फ्लेचर ने कहा कि अगर ऑस्ट्रेलिया ऐसा कर सकता है, तो भारत भी ऐसा कर सकता है।
भारत डिजिटल मार्केटप्लेस में ‘सुपरपावर’
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) द्वारा आयोजित ‘DNPA डायलॉग’ में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कम्युनिकेशन मिनिस्टर ने भारत को डिजिटल मार्केटप्लेस में ‘सुपरपावर’ बताया। उन्होंने यह भी कहा कि जब बात ‘बार्गेनिंग डायनेमिक्स’ की आती है तो भारत, गूगल और फेसबुक जैसी टेक कंपनियों पर भी पकड़ बनाए रखता है।
बिग टेक और न्यूज मीडिया बिजनेस के बीच रेवेन्यू-शेयरिंग को रेगुलेट करने के प्रमुख विषय पर फ्लेचर ने कहा, ‘भारत एक टेक सुपरपावर है। मैं भारत के डिजिटल मार्केट के एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी स्केल से चकित हूं। भारत जब बिग टेक कंपनियों के साथ ‘बार्गेनिंग डायनेमिक्स’ की पोजीशन में होगा, तो उसे कम आबादी वाले देशों की तुलना में इन कंपनियों से ज्यादा लाभ होगा।’
फ्लेचर ने 2 साल पहले पहला न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड शुरू किया था
फ्लेचर ऑस्ट्रेलिया की डिजिटल इकोनॉमी, साइंस, आर्ट्स और गवर्नमेंट सर्विसेस के शैडो मिनिस्टर। उन्होंने अपने देश में बिग टेक कंपनियों और न्यूज मीडिया आउटलेट्स के बीच कई कमर्शियल डील्स को लोकतांत्रिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
फ्लेचर ने 2 साल पहले अपनी तरह का एक पहला न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड शुरू किया था। ट्रेजरी लॉ अमेंडमेंट (न्यूज मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म मैंडेटरी बार्गेनिंग कोड) एक्ट 2021 ऑस्ट्रेलिया की न्यूज मीडिया कंपनियों और टेक फर्मों के बीच कमर्शियल डील्स को कंट्रोल करता है।
भारत का डिजिटल मार्केट ऑस्ट्रेलिया की तुलना में बहुत बड़ा है
फ्लेचर ने कहा, ‘भारत का डिजिटल मार्केट ऑस्ट्रेलिया की तुलना में बहुत बड़ा और फैला हुआ है। अगर यह समान कोड भारत में गति पकड़ता है, तो यह ऑस्ट्रेलिया की तुलना में ग्लोबल टेक कंपनी के अधिकारियों के डेस्क तक तेजी से पहुंच जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत भी एक समान कोड ला सकता है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां अपने कंटेंट को पब्लिश करने के लिए भारत के न्यूज मीडिया आउटलेट्स के साथ समान रूप से रेवेन्यू शेयर करें।’
बिग टेक प्लेटफार्मों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा भारत
भारत सरकार और अपेक्स रेगुलेटरी बॉडी कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI)- न्यूज मीडिया आउटलेट्स, स्मॉल कॉम्पिटिटर्स, नेशनल अथॉरिटीज और नेटिजन्स से निपटने में अपनी डोमिनेटिंग पोजीशंस के चलते बिग टेक प्लेटफार्मों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। IT और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के नेतृत्व में सरकार अपकमिंग डिजिटल इंडिया एक्ट के लिए एक ड्राफ्ट बिल पर काम कर रही है, जो इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 से डिजिटल एंटीट्रस्ट मामलों को संभालेगा।
भारत और ऑस्ट्रेलिया एंटीट्रस्ट रेगुलेशन पर साथ काम करे
फ्लेचर ने यह भी सुझाव दिया कि क्योंकि भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सरकारें इकोनॉमी और सिक्योरिटी पर मिलकर काम करती हैं। इसलिए यह एक अच्छा विचार होगा, अगर नई दिल्ली और कैनबरा सीधे तौर पर एंटीट्रस्ट रेगुलेशन पर भी साथ काम करें। गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट लेवल पर ऑस्ट्रेलियाई कोड की आगे की स्टडी को एक्सप्लोर करने के बारे में क्या खयाल है? मैं सोचता हूं कि क्या ऐसा किया जा सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई सांसद ने कहा कि भारत को एक ट्रिगर की पहचान करने की जरूरत है, जिसके आधार पर वह एक समान कोड ला सके। उन्होंने कहा, ‘हमारे मामले में यह ट्रिगर कोविड-19 महामारी के दौरान न्यूज मीडिया आउटलेट्स के ऐड रेवेन्यू में आई भारी गिरावट था। यही वजह है कि हमें वॉलंटरी के बजाय एक मैंडेटरी कोड लाने पर मजबूर होना पड़ा।’
‘DNPA डायलॉग’ सेशन के दौरान कोड की सफलताओं के बारे में बताया
ऑस्ट्रेलियन एंटी ट्रस्ट रेगुलेशन कैंपेनर ने ‘DNPA डायलॉग’ सेशन के दौरान कोड की सफलताओं के बारे में बताया। इसके अलावा एंटी ट्रस्ट रेगुलेशन कैंपेनर ने उन बातों को खारिज कर दिया, जिसमें कोड की अलोचनाएं की जा रही थीं और उसे असफल बताया जा रहा था। इस ‘DNPA डायलॉग’ में भारत के प्रमुख न्यूज मीडिया बिजनेस के टॉप ऑफिशियल्स और स्टेकहोल्डर्स ने भाग लिया।
कोड के कारण गूगल और फेसबुक ने 200 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर पेमेंट किया
उन्होंने कहा, ‘न्यूजरूम पर कोड का प्रभाव सब कुछ कहता है। इस कानून के कारण गूगल, फेसबुक और कई ऑस्ट्रेलियाई मीडिया बिजनेस के बीच कई कमर्शियल डील्स हुई हैं। ऑस्ट्रेलियन कॉम्पिटिशन एंड कंज्यूमर कमिशन (ACCC) के पूर्व अध्यक्ष रॉड सिम्स के अनुमान के अनुसार, इस कानून की वजह से गूगल और फेसबुक ने न्यूज पब्लिशर्स को 200 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर यानी 1,117 करोड़ रुपए से ज्यादा का पेमेंट किया है। इसके अलावा इस कोड की वजह से न्यूजरूम्स के साइज में भी एक्सपेंशन देखने को मिला है।’
ChatGPT जैसे AI प्लेटफॉर्म को कवर करने के लिए कोड का विस्तार किया जाना चाहिए
ऑस्ट्रेलियाई सांसद ने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि क्या ChatGPT जैसे AI प्लेटफॉर्म को कवर करने के लिए कोड का विस्तार किया जाना चाहिए। क्योंकि उनके बिजनेस मॉडल इंटरनेट पर पहले से पब्लिश कंटेंट पर बेस्ड हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत, कनाडा और अन्य देशों को वास्तव में इस बात पर विचार करना चाहिए।’
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन समय-समय पर अपनी तरह के अनूठे DNPA डायलॉग्स की मेजबानी करता है। यह भारत में टॉप न्यूज मीडिया ऑर्गेनाइजेशंस की डिजिटल आर्म्स का प्रतिनिधित्व करने वाला एक इंडिपेंडेंट अंब्रेला ग्रुप है।
Source: ln.run/slZQK