8 पूर्व नौसैनिकों को फांसी देने का मामला:कतर की अदालत के फैसले की कॉपी भारत को अभी तक नहीं मिली

Qatar

कतर की अदालत द्वारा 8 पूर्व भारतीय नौसेनिकों को मौत की सजा सुनाने के बावजूद अब तक भारत को फैसले की कॉपी नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि भारत इस फैसले को कतर की कोर्ट में चुनौती दे सकता है।

इसके अलावा भी इस मामले के समाधान के लिए भारत की ओर से तमाम विकल्प खंगाले जा रहे हैं। भारत इसके कूटनीतिक या राजनीतिक समाधान पर भी विचार कर रहा है।

दरअसल, कतर के अमीर (शासक) हर साल क्षमादान की अपील के आधार पर कई कैदियों को माफ कर देते हैं। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया, भारत सजायाफ्ता कैदियों के स्थानांतरण पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते के उपयोग के विकल्प पर भी विचार कर रहा है।

2015 का समझौता, कतर की ओर से आरोप सार्वजनिक नहीं
2015 का समझौता एक-दूसरे के कैदियों के अपने देश में सजा पूरी करने का प्रावधान करता है। दूसरी ओर, कोर्ट के फैसले पर कतर की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। निजी कंपनी अल दहरा में काम करने वाले भारतीय नागरिकों को कथित तौर पर जासूसी के मामले में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। इस बारे में कतर की ओर से कोई आरोप सार्वजनिक नहीं किया गया है।

मौत की सजा पाने वाले पूर्वसैनिक एक साल से जेल में बंद
कतर की अदालत ने भारत के जिन 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई है। ये एक साल से कतर की अलग-अलग जेलों में कैद हैं। इनके नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश।

26 अक्टूबर को भारत सरकार ने कतर के इस फैसले पर हैरानी जाहिर की थी। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि हम जजमेंट की डिटेलिंग का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते खोजे जा रहे हैं।

कतर में गिरफ्तार किए गए इंडियन नेवी के पूर्व अफसर पूर्णेन्दु तिवारी।

विपक्ष ने कहा- सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई
दूसरी तरफ विपक्ष ने इसे भारत सरकार की नाकामी करार दिया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री ने ना तो पूर्व नौसैनिकों और ना ही उनके परिजनों की बातों को गंभीरता से ली।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि पूरा मामला रहस्य बना हुआ है। भरोसा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय पूर्व नौसेना अफसरों वापस लाने के लिए कतर सरकार के साथ उच्चतम स्तर पर कार्रवाई करेगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा- ये बेहद चिंताजनक और स्तब्ध कर देने वाला मामला है। भारत सरकार को राजनैतिक, कूटनीतिक, कानूनी या किसी भी तरीके से अपने लोगों को बचाना चाहिए।

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने PM मोदी पर निशाना साधते हुए कहा- प्रधानमंत्री बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि इस्लामिक देश उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों को वापस लाना होगा। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें मृत्युदंड का सामना करना पड़ा।

एक महीने तक परिवार और सरकार को गिरफ्तारी की जानकारी ही नहीं थी
कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। हालांकि भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया।

30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई। पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया।

इसके बाद इन लोगों को हर हफ्ते परिवार के सदस्यों को फोन करने की अनुमति दी गई। दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस दिसंबर में दिया गया।

कतर के नौसैनिकों को ट्रेनिंग देने वाली कंपनी के लिए काम करते थे
भारत के 8 पूर्व नौसैनिक कतर में दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी नाम की निजी कंपनी में काम करते थे। यह कंपनी डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करती है। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वॉड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं।

उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें छोड़ दिया गया। यह कंपनी कतर की नौसेना यानी QENF को ट्रेनिंग और दूसरी सर्विस प्रदान करती है। कंपनी खुद को डिफेंस इक्विपमेंट्स को चलाने और उनकी रिपेयरिंग व मेंटेनेंस का एक्सपर्ट बताती है।

इस वेबसाइट पर कंपनी के सीनियर अधिकारियों और उनके पद की पूरी जानकारी दी गई है। हालांकि 8 भारतीयों की गिरफ्तारी के बाद से दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी की वेबसाइट बंद है।

नई वेबसाइट में कंपनी का नाम दाहरा ग्लोबल है। इसमें कंपनी से QENF का कोई कनेक्शन नहीं दिखाया गया है, न ही नेवी के पूर्व अफसरों का जिक्र है, जो कंपनी में लीडरशिप रोल में थे।

जेल में बंद कमांडर पूर्णेन्दु को कतर में प्रवासी भारतीय सम्मान मिल चुका
दाहरा कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर रिटायर्ड कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था।

यह पुरस्कार पाने वाले वे आर्म्ड फोर्सेज के एकमात्र शख्स हैं। उस वक्त दोहा में तब के भारतीय राजदूत पी कुमारन और कतर डिफेंस फोर्सेज इंटरनेशनल मिलिट्री कॉर्पोरेशन के पूर्व प्रमुख ने भी पूर्णेन्दु का स्वागत किया था।

कतर

दिसंबर 2022 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया था कि पूर्व नौसैनिकों की रिहाई एक संवेदनशील मामला है। यह हमारी प्राथमिकता में शामिल है।

जासूसी के दोषी पाए जाने की आशंका
कतर सरकार ने 8 भारतीयों पर लगे आरोपों को अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में भेजे जाने से यह चर्चा है कि उन्हें सुरक्षा संबंधी अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।

स्‍थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी इजराइल के लिए उनके देश की जासूसी कर रहे थे। हालांकि इसमें भी कोई तथ्य पेश नहीं किया गया है।

यह पूछे जाने पर कि उन पर क्या आरोप लगाए गए हैं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस साल जनवरी में अपनी वीकली ब्रीफिंग में कहा था कि यह सवाल कतर के अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए।

Source: ln.run/bxTFw

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