सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 जुलाई) को स्पाइसजेट लिमिटेड को अपने पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन को 380 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पाइसजेट को भुगतान के लिए और समय देने से भी इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये बिजनेस कम्युनिटी में कमर्शियल एथिक्स को बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।
यह मामला 7 साल पुराना है और शेयर ट्रांसफर विवाद से जुड़ा है। 2018 के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के तहत मारन ने एयरलाइन कंपनी से 362.49 करोड़ रुपए लेने का दावा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को स्पाइसजेट को इसके ब्याज के रूप में 75 करोड़ रुपए मारन को देने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने स्पाइसजेट की याचिका की खारिज
स्पाइसजेट ने भुगतान करने की अवधि को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि कंपनी यह पैसा देना ही नहीं चाहती है, इसलिए इस तरह के अड़ंगे डाल रही है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 5 सितंबर को होगी।
स्पाइसजेट का शेयर शुक्रवार को 2.93% गिरकर 29.50 रुपए पर बंद हुआ।
शेयर ट्रांसफर विवाद से जुड़ा है यह मामला
इससे पहले जून में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी स्पाइसजेट से मारन को 380 करोड़ रुपए देने को कहा था। कोर्ट ने साथ ही कंपनी को चार हफ्ते के अंदर अपने सारे एसेट्स की जानकारी देने को भी कहा था। यह मामला स्पाइसजेट के चेयरमैन-मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह और मारन तथा उनकी कंपनी केएएल एयरवेज के बीच शेयर ट्रांसफर विवाद से जुड़ा है।
फरवरी 2015 में मारन और KAL एयरवेज ने स्पाइसजेट में अपनी पूरी 58.46% हिस्सेदारी सिंह को ट्रांसफर कर दी थी। साल 2017 में मारन और KAL एयरवेज ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि कंपनी के 18 करोड़ वारंट्स रिडीमेबल शेयर इक्विटी शेयरों के रूप में उन्हें ट्रांसफर किए जाने चाहिए थे, जो अब तक नहीं किया गया है।
लेटलतीफी के मामले में पहले नंबर पर स्पाइसजेट: मई महीने में एयरलाइन की 39% फ्लाइट्स डिले रहीं
दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एविएशन मार्केट इंडिया में स्पाइसजेट लिमिटेड लेटलतीफी के मामले में पहले नंबर पर है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के अनुसार, मई महीने में देश के 4 सबसे बड़े एयरपोर्ट्स (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद) से स्पाइसजेट की 61% फ्लाइट्स ही समय पर रवाना हुईं हैं।
Source: ln.run/JvkRc