यूपी-एमपी समेत 6 राज्यों में NIA की छापेमारी:PFI के 12 ठिकानों पर तलाशी, आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते संगठन पर लग चुका बैन

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नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की टीम ने बुधवार को छह राज्यों यूपी, एमपी, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में छापेमारी की। ये सर्च ऑपरेशन PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के 12 ठिकानों पर चल रहा है। PFI को पिछले साल आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बैन कर दिया गया था।

खबरों के मुताबिक, राजस्थान के टोंक, कोटा, गंगापुर में NIA की टीम ने देर रात दबिश दी है, कई संदिग्धों को पकड़ा है।

NIA की छापेमारी की तस्वीरें…

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राजस्थान के टोंक में NIA की टीम ने छापेमारी की।

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दिल्ली के बल्लीमारन इलाके में NIA की टीम PFI के ठिकानों पर तलाशी कर रही है।

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यह विजुअल मुंबई के हैं। 2006 ट्रेन ब्लास्ट के आरोपी वाहिद शेख के घर NIA ने छापा मारा।

सरकार ने PFI पर 2022 में पांच साल का बैन लगाया
केंद्र सरकार ने पिछले साल 27 सितंबर को PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों पर पांच साल का बैन लगाया था। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। संगठन के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले। केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया। सरकार ने कहा, PFI और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं।

PFI पर बैन: आतंकवाद, फंडिंग, सीक्रेट एजेंडा जैसे 7 पॉइंट में समझिए

1. PFI से खतरा
PFI और इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इनकी गतिविधियां भी देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं। ये संगठन चुपके-चुपके देश के एक तबके में यह भावना जगा रहा था कि देश में असुरक्षा है और इसके जरिए वो कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था।

2. PFI का सीक्रेट एजेंडा
क्रिमिनल और टेरर केसेस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक समर्थन के चलते यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। PFI खुले तौर पर तो सोशियो-इकोनॉमिक, एजुकेशनल और पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशन है पर ये समाज के खास वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के अपने सीक्रेट एजेंडा पर काम कर रहा है। ये देश के लोकतंत्र को दरकिनार कर रहा है। ये संवैधानिक ढांचे का सम्मान नहीं कर रहा है।

3. PFI की मजबूती की वजह
PFI ने अपने सहयोगी और फ्रंट बनाए, इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। इस पैठ बढ़ाने के पीछे PFI का एकमात्र लक्ष्य अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना था। इन संगठनों की बड़े पैमाने पर पहुंच और फंड जुटाने की क्षमता का इस्तेमाल PFI ने अपनी गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ाने में किया। यही सहयोगी संगठन और फ्रंट्स PFI की जड़ों को मजबूत करते रहे।

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भारत सरकार ने 2022 में PFI पर बैन लगाते हुए यह नोटिफिकेशन जारी किया था।

4. PFI की फंडिंग और उस पर एक्शन
बैंकिंग चैनल्स, हवाला और डोनेशन आदि के जरिए PFI और इससे जुड़े संगठनों के लोगों ने भारत और विदेशों से फंड इकट्ठा किया। यह उनके सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र का ही एक हिस्सा था। इस फंड के छोटे-छोटे हिस्सों को कई एकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया और ऐसा दिखलाया गया कि यह लीगल फंड है। लेकिन, इसका इस्तेमाल आपराधिक, गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया।

PFI की ओर से जिन जरियों से बैंक अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया, वह अकाउंट होल्डर के प्रोफाइल से भी मैच नहीं करता। इस फंड के जरिए PFI जिन गतिविधियों को अंजाम देने का दावा करता है, वह भी नहीं किया गया। इसके बाद इनकम टैक्स ने PFI और रेहाब इंडिया फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी PFI को बैन करने की सिफारिश की थी।

5. PFI का इंटरनेशनल कनेक्शन
संगठन के मेंबर्स ने ईराक, सीरिया और अफगानिस्तान में ISIS जॉइन किया। कई मुठभेड़ों में मारे गए। कई मेंबर्स की गिरफ्तारी हुई। देश में भी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मेंबर्स को अरेस्ट किया। PFI के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स SIMI के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। ये दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं।

6. PFI की क्रिमिनल और टेरर एक्टिविटी
PFI द्वारा किए गए अपराधों में प्रोफेसर का हाथ काटना, दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों की हत्याएं, बड़ी हस्तियों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक जुटाना और पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान करना शामिल हैं।संजीत (2012 केरल), वी रामलिंगम (2019 तमिलनाडु), नंदू (2021 केरल), अभिमन्यु (2018 केरल), बिबिन (2017 केरल), शरथ (2017 कर्नाटक), आर रुद्रेश (2016 कर्नाटक), प्रवीण पुयारी (2016 कर्नाटक), शशि कुमार (2016 तमिलनाडु) और प्रवीण नेट्टारू (2022 कर्नाटक)…. PFI इन सभी के मर्डर में शामिल रहा।

16 साल पहले बना था PFI संगठन, 23 राज्यों में फैला
साल 2006 में मनिथा नीति पसाराई (MNP) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 23 राज्यों में फैल चुका है।

Source: ln.run/hz3SD

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