मणिपुर में 53 दिनों से जारी हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है और 419 लोग घायल हुए हैं।
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर पिछले 53 दिनों से हिंसा जारी है। सुरक्षाबलों और पुलिस ने रविवार को राज्य के 7 जिलों में सर्च ऑपरेशन चलाया।
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, मणिपुर पुलिस और सुरक्षाबलों ने इन जिलों में पिछले 24 घंटों में हिंसा फैलाने वाले लोगों के 12 बंकर नष्ट किए हैं। पुलिस ने इन्हें उग्रवादी बताया है।
सुरक्षाबलों ने तामेंगलोंग, इंफाल ईस्ट, बिष्णुपुर, कांगपोकपी, चुराचांदपुर और काकचिंग जिलों में जॉइंट ऑपरेशन चलाया और हिल और वैली दोनों जगह इन बंकरों को नष्ट कर दिया।
मणिपुर के हालात को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने आज PM नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने पीएम को 24 जून को सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा की भी जानकारी दी।
पटना के बुद्ध स्मृति पार्क में रविवार को नागरिक अधिकार मंच के कार्यकर्ताओं ने मणिपुर में शांति को लेकर कैंडल मार्च किया।
भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद
पुलिस ने बताया कि सर्च ऑपरेशन के दौरान तीन 51 मिमी मोर्टार और 84 मिमी मोर्टार गोले साहुमफाई गांव के खेत में पाए गए।
कांववई और एस कोटलियान गांव के बीच के एक खेत में एक IED भी मिला। इन्हें नष्ट कर दिया गया है।
पुलिस ने बताया कि पिछले दो महीनों में 1100 हथियार, 13,702 गोला-बारूद और 250 बम को राज्य के अलग-अलग इलाकों से जब्त किया गया है।
मणिपुर हिंसा से जुड़े अपडेट्स
- पुलिस ने बताया कि राज्य के ज्यादातर इलाकों में छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो हालात सामान्य हैं।
- राज्य में रविवार देर रात को 30 जून तक इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है।
- सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्रालय ने जानकारी दी कि हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है और 419 लोग घायल हुए हैं।
- आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। लगभग 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
- राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।
मणिपुर के CM बीरेन सिंह ने दिल्ली में गृहमंत्री शाह से मुलाकात की
मणिपुर के CM एन बीरेन सिंह रविवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मिले और राज्य में हिंसा को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी।
मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने रविवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति लाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री सिंह ने दावा किया कि 13 जून के बाद से हिंसा में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बाधा डाल रहा है भीड़तंत्र
राज्य के छह जिलों बिष्णुपुर, इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, उखरुल, चूराचांदपुर और कंग्पोक्पी में सेना और पुलिस की कार्रवाई में यहां का ‘भीड़तंत्र’ बाधा डाल रहा है।
मैतेई और कुकी समुदाय के लोग अपने-अपने क्षेत्रों में किसी भी गिरफ्तारी और तलाशी का भीड़ के रूप में विरोध करने लगते हैं। कई गांवों में तो सुरक्षा एजेंसियां घुस भी नहीं पाती हैं।
ईस्ट इंफाल में सेना ने शनिवार को ऑपरेशन चलाकर प्रतिबंधित संगठन KYKL के 12 कैडर्स को पकड़ा था। 1500 महिलाओं की भीड़ के विरोध के बाद जवानों को इन्हें छोड़ना पड़ा।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
Source: ln.run/8egmU