मणिपुर हिंसा में सरकारी कर्मचारी ऑफिस आने को तैयार नहीं:मैतेई समुदाय के इलाके में सरकारी दफ्तर, कुकी कर्मचारी जाने से डर रहे

मणिपुर में सरकारी कर्मचारी ऑफिस आने को तैयार नहीं:मैतेई समुदाय के इलाके में सरकारी दफ्तर, कुकी कर्मचारी जाने से डर रहे

मणिपुर हिंसा में ‘नो वर्क नो पे’ के आदेश के बावजूद सरकारी कर्मचारी अपने इलाके छोड़ कर दफ्तरों में लौटने काे तैयार नहीं हैं। घाटी में रहने वाले कुकी कर्मचारी अपने पर्वतीय इलाकों में चले गए थे और पर्वतीय इलाकों में तैनात मैतेई जनजाति के कर्मचारी घाटी में हैं। इनमें करीब 1400 पुलिसवाले भी शामिल थे।

पिछले महीने के आखिर में सरकार ने नो वर्क नो पे का आदेश जारी करते हुए चेतावनी दी कि काम पर नहीं लौटने वालों को वेतन नहीं मिलेगा। कुकी संगठनों ने सरकार के इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। तब सरकार ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए सरकारी कर्मचारियों को अपने-अपने इलाकों में हाजिरी देने की परमिशन दी है।

यह मणिपुर हिंसा की 11 जून की तस्वीर है। इसमें कुकी समुदाय के घर जलते हुए दिख रहे हैं।

यह मणिपुर हिंसा की 11 जून की तस्वीर है। इसमें कुकी समुदाय के घर जलते हुए दिख रहे हैं।

मैतेई समुदाय के इलाके में सरकारी दफ्तर, कुकी लोग जाने से डर रहे
कुकी जनजाति के कर्मचारियों की दिक्कत यह है कि ज्यादातर सरकारी दफ्तर मणिपुर घाटी में हैं, जो मैतेई का गढ़ है। कुकी आदिवासियों के संगठन कुकी इनपी मणिपुर (केआईएम) के महासचिव के. गांग्टे ने कहा है कि कुकी कर्मचारियों के लिए घाटी में लौटने का मतलब मौत को न्योता देना है।

कुछ पुलिसवाले नहीं लौटे, सुरक्षा प्रभावित
हिंसा की शुरुआत में ही करीब डेढ़ हजार पुलिस वाले भी ड्यूटी से गायब हो गए थे। अब काफी समझाने-बुझाने के बाद ज्यादातर पुलिस वाले वापस काम पर लौट आए हैं। लेकिन करीब 50 लोग अब भी बिना बताए छुट्‌टी पर हैं।

राज्य में पहले ही स्वीकृत से पदाें कम कर्मचारी हैं
सरकारी कर्मचारियों के 1.17 लाख स्वीकृत पदों की तुलना में फिलहाल 70 हजार कर्मचारी हैं। इनमें से करीब 63 हजार मैतेई तबके के हैं और बाकी कुकी जनजाति के। इसके अलावा 30 हजार पुलिसवाले भी हैं।

हिंसा में 150 से अधिक लोगों की मौत, हजारों घायल
मणिपुर में पिछले 75 दिनों से कुकी और मैतेई समुदाय के एक-दूसरे के खिलाफ हथियार लेकर खड़े हैं। पीटीआई के मुताबिक, हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।

यह तस्वीर 15 जुलाई की है। अवांग सेकमाई इलाके में तीन ट्रकों को आग लगा दी गई।

यह तस्वीर 15 जुलाई की है। अवांग सेकमाई इलाके में तीन ट्रकों को आग लगा दी गई।

15 जुलाई को राहुल ने PM की चुप्पी पर उठाए सवाल

राहुल गांधी ने 29-30 जून को मणिपुर का दौरा किया था। वहां रिलीफ कैंप में लोगों से मुलाकात की थी।

राहुल गांधी ने 29-30 जून को मणिपुर का दौरा किया था। वहां रिलीफ कैंप में लोगों से मुलाकात की थी।

राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट करते हुए पीएम की चुप्पी पर निशाना साधा। राहुल ने लिखा, मणिपुर जल रहा। यूरोपियन संसद ने भी भारत के आंतरिक मामले पर चर्चा की। पीएम ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा। राफेल ने पीएम को बैस्टिल डे परेड का टिकट दिला दिया।

राहुल के ट्वीट पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार किया। स्मृति ने राहुल को राजवंश का हारा हुआ व्यक्ति बताया। ईरानी लिखती हैं, एक व्यक्ति जो भारत के आंतरिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप चाहता है।

जब हमारे प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सम्मान मिलता है तो राजवंश का वह हारा हुआ व्यक्ति भारत का मजाक उड़ाता है। लोगों ने उसे खारिज कर दिया है। स्मृति के बयान पर कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने कहा, स्मृति जी पीएम से कहिए इस पर बात करें। प्रधानमंत्री दुनिया भर में घूम रहे हैं लेकिन मणिपुर मुद्दे पर एक मिनट भी बात नहीं कर रहे हैं।

वीडियो कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप के घर की है। 3 जुलाई को उनके घर में आग लगा दी थी।

वीडियो कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप के घर की है। 3 जुलाई को उनके घर में आग लगा दी थी।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्य की कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली के एडवोकेट कोलिन गोंजाल्वेज की दलील पर की। गोंजाल्वेज ने कहा कि सरकार ने पिछली सुनवाई में हिंसा रोकने का भरोसा दिया था। हालांकि सरकार की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर हिंसा में 142 लोगों की जान गई है। 5,995 केस दर्ज किए गए हैं।

Source: ln.run/LIA5F

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