तीन कदम में चांद चढ़ा:लैंडर से उतरते हुए रोवर प्रज्ञान की पहली फोटो सामने आई, अब चांद की सतह पर घूम रहा

लैंडर से उतरते हुए रोवर प्रज्ञान की पहली फोटो

भारत तीन कदम में चांद चढ़ा। 23 अगस्त की शाम थी, देश ठहरा था, सांसें थमी थीं, पलकें उठी थीं और दुनिया भारत के कांधे पर सिर रख चांद की ओर टकटकी लगाए थी।

धरती पर शाम हो रही थी, चांद पर सूरज उग रहा था। समय 6 बजकर 4 मिनट, भारत का चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया था। इसके साथ ही चांद के सबसे मुश्किल इलाके में लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया।

करीब 14 घंटे बाद गुरुवार सुबह खबर आई कि लैंडर से रोवर प्रज्ञान बाहर आ गया है और चांद की सतह पर घूम रहा है। यह जानकारी INSPACE चेयरमैन पवन के गोएनका ने दी। ISRO के यूट्यूब चैनल पर गुरुवार सुबह तक करीब 7 करोड़ लोग लैंडिंग का टेली-कास्ट देख चुके हैं।

चांद की सतह पर रोवर प्रज्ञान कुछ इस तरह उतरा।

चांद की सतह पर रोवर प्रज्ञान कुछ इस तरह उतरा।

रोवर प्रज्ञान अब क्या करेगा?

  • डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
  • फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा।
  • पहिए चांद की मिट्‌टी पर अशोक स्तंभ और ISRO के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
  • विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। ये फोटो वे पृथ्वी पर भेजेंगे।

बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा
भारतीय अंतरिक्ष संस्थान केंद्र (ISRO) का मिशन कामयाब रहा। ISRO की ये तीसरी कोशिश थी। 2008 में चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा, 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 2023 में चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम 5 बजकर 44 मिनट पर लैंडिंग प्रोसेस शुरू की।

इसके बाद अगले 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से 25 किमी का सफर पूरा कर लिया। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा।

पहला सीन 14 जुलाई का है, जब चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था। दूसरा 23 अगस्त का है, जब विक्रम लैंडर चंद्रमा पर लैंड हुआ।

पहला सीन 14 जुलाई का है, जब चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था। दूसरा 23 अगस्त का है, जब विक्रम लैंडर चंद्रमा पर लैंड हुआ।

ISRO ने कहा- अगले 14 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण
ISRO के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने कहा- अगले 14 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रज्ञान रोवर को बाहर आने में एक दिन का भी समय लग सकता है। प्रज्ञान हमें चांद के वातावरण के बारे में जानकारी देगा। हमारे कई मिशन कतार में हैं। जल्द ही सूर्य पर आदित्य एल-1 भेजा जाएगा। गगनयान पर भी काम जारी है।

चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेज दिया है- ‘ भारत, मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं। और आप भी।’ इस कामयाबी पर साउथ अफ्रीका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई देकर कहा- चंदा मामा बहुत दूर के कहा जाता था। अब बच्चे कहेंगे कि चंदा मामा बस एक टूर के।

दक्षिण ध्रुव पर कामयाब लैंडिग करने वाला भारत चौथा देश
इस कामयाबी के साथ भारत चांद के किसी भी हिस्से में मिशन लैंड कराने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही ऐसा कर सके हैं।

कामयाब लैंडिंग के बाद रोवर के बाहर निकलने का इंतजार
अब सभी को विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का इंतजार है। धूल का गुबार शांत होने के बाद यह बाहर आएगा। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे।

चंद्रयान मिशन को ऑपरेट कर रहे इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी ISRO ने चंद्रयान को श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया था। 41वें दिन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की प्लानिंग की गई।

चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग चार फेज में हुई। तब लैंडर से चंद्रमा 30 किमी दूर था। पहले हॉरिजॉन्टल और फिर वर्टिकल लैंडिंग प्रोसेस शुरू हुई। 5 बजकर 27 मिनट पर इसका लाइव टेलिकास्ट शुरू हुआ।

इसके बाद 5 बजकर 44 मिनट पर इसे एटीट्यूड होल्डिंग फेज में हॉरिजॉन्टल पोजिशन से वर्टिकल पॉजिशन में लाने के लिए हल्का सा मोड़ा गया। इसी समय को ’20 मिनट ऑफ टेरर’ यानी ‘खौफ के 20 मिनट’ कहा गया।

1. रफ ब्रेकिंग फेज: इस फेज के दौरान, चंद्रमा से 30 किमी दूर पर लैंडर की रफ्तार 6 हजार किमी प्रति घंटे से कम की गई। ताकि उसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सके।

2. एटीट्यूड होल्डिंग फेज: लैंडर को हॉरिजॉन्टल पोजिशन में चंद्रमा से 30 किमी दूरी से 7.43 किमी दूरी तक लाया गया। फिर इसे हॉरिजॉन्टल पोजिशन से थोड़ा वर्टिकल मोड़ा गया।

3. फाइन ब्रेकिंग फेज: इस फेज में लैंडर ने करीब 2.9 मिनट में हॉरिजॉन्टल रहकर 28.52 किमी का सफर तय किया, ताकि लैंडिंग वाली जगह के ऊपर आ सके। इस दौरान चंद्रमा से उसकी दूरी को करीब 1 किमी कम किया गया। चंद्रयान-2 ने इसी एटीट्यूड होल्ड और फाइन ब्रेकिंग फेज के बीच अपना कंट्रोल खो दिया था और क्रैश हो गया था।

4. टर्मिनल डेसेंट: इस फेज में लैंडर चंद्रमा से करीब 800 मीटर दूर था। तब इसे वर्टिकल पोजिशन में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड कराया गया।

उतरते समय लैंडर ने चांद की तस्वीरें लीं-

चंद्रयान-3 ने लैंडिंग करते समय चांद की फोटो ली और वहां पहुंचने के कुछ देर बाद इसे इसरो के पास भेज दिया।

चंद्रयान-3 ने लैंडिंग करते समय चांद की फोटो ली और वहां पहुंचने के कुछ देर बाद इसे इसरो के पास भेज दिया।

लैंडर से ली गई इस फोटो में विक्रम की परछाई दिख रही है।

लैंडर से ली गई इस फोटो में विक्रम की परछाई दिख रही है।

चांद पर लैंडिंग में 41 दिन लगे
चंद्रयान-3 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च हुआ था। इसे चांद की सतह पर लैंडिंग करने में 41 दिन का समय लगा। धरती से चांद की कुल दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है।

PM मोदी बोले- चंदा मामा दूर के नहीं, एक टूर के
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा- यह क्षण भारत के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास, नई चेतना का है। अमृतकाल में अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं।

PM मोदी ने ISRO चीफ से फोन पर बात की। मोदी ने कहा- आपका नाम सोमनाथ है। आपके नाम में ही चांद (सोम) है। आपके पूरे परिवार को सफलता की बधाई।

PM मोदी ने ISRO चीफ से फोन पर बात की। मोदी ने कहा- आपका नाम सोमनाथ है। आपके नाम में ही चांद (सोम) है। आपके पूरे परिवार को सफलता की बधाई।

तब रूस के नाम हो जाता यह रिकॉर्ड
भारत से पहले रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 यान उतारने वाला था। 21 अगस्त को यह लैंडिंग होनी थी, लेकिन आखिरी ऑर्बिट बदलते समय यान रास्ते से भटक गया और चांद की सतह पर क्रैश हो गया।

अब चंद्रयान मिशन से जुड़े 4 जरूरी सवालों के जवाब…

1. इस मिशन से भारत को क्या हासिल होगा?
ISRO के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित कहते हैं कि इस मिशन के जरिए भारत ने दुनिया को बताया कि हमारे पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा, जो कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगा। भारत ने अपने हैवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 से चंद्रयान को लॉन्च किया है। इस व्हीकल की काबिलियत भारत पहले ही दुनिया को दिखा चुका है।

बीते दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने ISRO के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में अपना इंटरेस्ट दिखाया था। ब्लू ओरिजिन LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए करना चाहता है। LVM3 के जरिए ब्लू ओरिजिन अपने क्रू कैप्सूल को प्लान्ड लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) स्पेस स्टेशन तक ले जाएगा।

2. साउथ पोल पर ही मिशन क्यों भेजा गया?
चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था।

इस मिशन की लैंडिंग साइट चंद्रयान-2 जैसी ही है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर। लेकिन इस बार एरिया बढ़ाया गया है। चंद्रयान-2 में लैंडिंग साइट 500 मीटर X 500 मीटर थी। अब, लैंडिंग साइट 4 किमी X 2.5 किमी है।

चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट बन गया है। चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी स्पेसक्राफ्ट भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं।

3. इस बार लैंडर में 5 की जगह 4 इंजन क्यों?
इस बार लैंडर में चारों कोनों पर चार इंजन (थ्रस्टर) लगाए गए। पिछली बार चंद्रयान-2 के बीचो-बीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया। फाइनल लैंडिंग दो इंजन की मदद से ही हुई। दो इंजन इसलिए बंद रखे गए ताकि इमरजेंसी में ये काम कर सकें। चंद्रयान 2 मिशन में आखिरी समय में पांचवां इंजन जोड़ा गया था। इंजन इसलिए हटाया गया, ताकि ज्यादा फ्यूल साथ ले जाया जा सके।

4. 14 दिन का ही मिशन क्यों?
मनीष पुरोहित ने बताया कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन करेंगे। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे

Source: ln.run/eGpHI

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