सरकार ने आधा दर्जन अमेरिकी प्रोडक्ट्स से इंपोर्ट ड्यूटी हटाई:राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत आने से पहले लिया फैसला, जून 2019 में 120% तक बढ़ा दी थी ड्यूटी

जो बाइडेन

राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत आने से पहले भारत सरकार ने बादाम, सेब, अखरोट और दाल जैसे करीब आधा दर्जन अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को हटा दिया है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने 5 सितंबर को एक नोटिफिकेशन जारी कर इस बात की जानकारी दी है। जून 2019 में सरकार ने अमेरिकी अखरोट पर 30% से 120% तक और चना, मसूर दाल पर 30% से 70% तक इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून में ऑफिशियल अमेरिकी यात्रा पर दोनों देशों ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में छह विवादों को खत्म करने और अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क को हटाने का फैसला लिया था। जो बाइडेन G20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने शुक्रवार को भारत आ रहे हैं। इस दौरान वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ बाइलेटरल मीटिंग भी करेंगे।

बता दें कि जुलाई में उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि सरकार ने सूखे, ताजे, छिलके वाले बादाम, अखरोट, चना, मसूर और सेब पर जवाबी शुल्क हटाने का फैसला किया है। इससे भारत को कोई नुकसान नहीं होगा। बता दें कि सरकार के इस फैसले से इन उत्पादों की कीमतों पर भी असर नहीं होगा।

इन उत्पादों पर से हटाई गई ड्यूटी
सरकार के इस फैसले के बाद चना पर 10%, मसूर दाल पर 20%, ताजे या सूखे बादाम पर 7 रुपए प्रति किलो ड्यूटी हटाई गई है। इसके अलावा छिलके वाले बादाम से 20 रुपए प्रति किलो, छिलके वाले अखरोट से 20% और सेब से 20% ड्यूटी हटाई गई है।

सरकार ने 2019 में लगाई थी 120% तक इंपोर्ट ड्यूटी
भारत ने 2019 में अमेरिका से इंपोर्ट होने वाले 28 प्रोडक्ट्स पर 120% तक ड्यूटी लगाई थी। सरकार ने यह फैसला तब लिया था, जब अमेरिका ने भारत के एल्युमीनियम और स्टील प्रोडक्ट्स पर ड्यूटी बढ़ा दी थी। इसे रीटेलिएटरी या जवाबी शुल्क भी कहा जाता है

ABC ने भारत के फैसले का स्वागत किया
आमंड बोर्ड ऑफ कैलिफोर्निया (ABC) ने भारत के इस कदम का स्वागत किया है। ABC ने स्टेटमेंट में कहा कि भारत के इस फैसले से छिलके वाले अखरोट के शिपमेंट पर इंपोर्ट ड्यूटी 35 रुपए प्रति किलो और कर्नेल (कॉर्न) का 100 रुपए प्रति किलो हो जाएगी।

भारत ने जुलाई में नॉन-बासमती के एक्सपोर्ट पर लगाया था बैन
जुलाई में सरकार ने नॉन-बासमती व्हाइट राइस (सफेद चावल) के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। देश में चावल की कीमतों में तेजी को रोकने और डोमेस्टिक सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया था। इस बैन से दुनिया भर में चावल की कीमतें 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं। इसके बाद अमेरिका में कई जगहों पर लोगों को चावल के लिए लंबी लाइनों में घंटों खड़े देखा गया था।

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चावल के लिए अमेरिका के एक सुपर मार्केट में खड़े लोग

IMF ने कहा था- बैन हटाने के लिए भारत से बातचीत करेंगे

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भारत ने चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया तब IMF के चीफ इकोनॉमिस्ट पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा था कि मौजूदा स्थिति में ऐसे प्रतिबंधों से बाकी दुनिया में फूड प्राइसेस में अस्थिरता पैदा होने की आशंका है

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) कई बार कह चुका है कि वह भारत से चावल की कुछ निश्चित किस्मों के एक्सपोर्ट पर लगाए गए बैन को हटाने के लिए बातचीत करेगा। भारत के एक्सपोर्ट बैन करने के फैसले से दुनियाभर में चावल की कीमतों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसका मतलब यह कि दुनियाभर में महंगाई बढ़ रही है।

Source: ln.run/7W2vP

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