पाञ्चजन्य का कवर पेज जिस पर हिटलर और इंदिरा गांधी की फोटो एक साथ लगाई गई है।
देश में आज ही के दिन 25 जून 1975 को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। आज इमरजेंसी के 48 साल पूरे होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पत्रिका पाञ्चजन्य ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर से की है।
पत्रिका ने अपने नए अंक के कवर पेज पर हिटलर और इंदिरा गांधी की तस्वीर लगाई है और इसे ‘हिटलर गांधी’ का नाम दिया है। पत्रिका ने लिखा है- दो तानाशाह, एक जैसी इबारत।
पत्रिका ने लिखा- हिटलर के जघन्य अपराधों को नकारने अथवा भुलाने पर यूरोप में कई जगह कानूनी पाबंदी है। यह उनके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है।
यही स्थिति भारत में इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल की है, जिसे भुलाना लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है। आइए, याद करें 25 जून 1975 की काली रात से शुरू हुई वह दास्तान…।
PM ने लिखा- इतिहास में कभी न भुलाए जाने वाला समय
PM नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा- मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। #DarkDaysOfEmergency हमारे इतिहास में एक कभी न भुलाए जाने वाला समय है, जो हमारे उन संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है जिन पर हमें गर्व है।
नड्डा ने लिखा- एक परिवार ने आपातकाल जैसा कलंक थोपा
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा- 25 जून 1975 को एक परिवार ने अपने तानाशाही प्रवृत्ति के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। जिसकी निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूं।
भाजपा ने इमरजेंसी पर 7 मिनट का वीडियो जारी किया
भाजपा ने इमरजेंसी को लेकर अपने ट्विटर हैंडल पर 13 पोस्ट किए हैं। इनमें 4 वीडियो भी शामिल हैं। भाजपा ने इमरजेंसी को लेकर लिखा- आपातकाल… लोकतंत्र का काला अध्याय! कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश की आत्मा को कुचलने का काम किया। आपातकाल लगा कर सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाने वालों को जनता माफ नहीं करेगी!
पार्टी के एक 7 मिनट 13 सेकेंड के वीडियो में आपातकाल की कहानी बयां की गई है। इस वीडियो के कैप्शन में पार्टी ने लिखा- आपातकाल… एक क्रूर और तानाशाही मानसिकता वाली नेता व उसके उद्दंड परिवार द्वारा लोकतंत्र को कुचल देश को बंधक बनाने की काली कहानी…।
इमरजेंसी के अगले दिन सिर्फ हिंदुस्तान टाइम्स और स्टेट्समैन ही छप पाए थे, क्योंकि उनके प्रिंटिंग प्रेस बहादुर शाह जफरर मार्ग पर नहीं थे। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि सरकार ने बहादुर शाह जफर मार्ग पर मौजूद संस्थानों की बिजली काट दी थी। इमरजेंसी से कुछ दिन पहले यानी 12 जून को ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी।
Source: ln.run/6brVS