आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) चीफ चंद्रबाबू नायडू को CID ने रविवार को विजयवाड़ा कोर्ट में पेश किया। 371 करोड़ रुपए के स्किल डेवलपमेंट स्कैम में नायडू को शनिवार सुबह 6 बजे गिरफ्तार किया गया था। उनसे कल 10 घंटे की पूछताछ भी हुई थी।
चंद्रबाबू नायडू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट में अपनी दलीलें रखीं। इस दौरान कोर्ट कॉम्पलेक्स के बाहर तेलुगु देशम पार्टी के समर्थक भारी संख्या में उपस्थित रहे। वे राज्य के मुख्यमंत्री और YSR कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
इससे पहले शनिवार देर रात अभिनेता और जनसेना प्रमुख पवन कल्याण ने चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी का विरोध किया। राज्य सरकार के विरोध में वे अपने समर्थकों के साथ विजयवाड़ा जा रहे थे। बीच रास्ते में उन्हें पुलिस ने रोका। विरोध में वे सड़क पर ही लेट गए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया।
पवन कल्याण चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे, जब उन्हें पुलिस ने रोकने की कोशिश की।
ये तस्वीर पवन कल्याण के समर्थकों और पुलिस के बीच हुई झड़प की है।
पुलिस ने कहा- चंद्रबाबू ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया
चंद्रबाबू को शनिवार सुबह 6 बजे नंदयाल से गिरफ्तार किया गया था। यहां से उन्हें विजयवाड़ा ले जाया गया, जहां CID ने उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद उन्हें रविवार तड़के 3:40 बजे विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। यहां 50 मिनट तक उनका मेडिकल टेस्ट हुआ।
यहां से उन्हें कोर्ट ले जाना था, लेकिन CID उन्हें वापस स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के दफ्तर ले गई। CID ने बताया कि चंद्रबाबू ने पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं किया। उन्होंने जवाब देने की बजाय कहा कि उन्हें कई बातें याद नहीं हैं।
एंटी करप्शन ब्यूरो कोर्ट में बेटे नारा लोकेश और वकीलों के साथ चंद्रबाबू नायडू।
371 करोड़ रुपए के स्कैम में किया गया गिरफ्तार
चंद्रबाबू नायडू को स्किल डेवलपमेंट स्कैम में गिरफ्तार किया गया है। CID ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। मामला लगभग 371 करोड़ रुपए घोटाले से जुड़ा हुआ है। चंद्रबाबू को शनिवार सुबह 6 बजे तब गिरफ्तार किया जब वे नंदयाल शहर में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद एक बस में आराम कर रहे थे।
CID अधिकारी और नंदयाल जिला पुलिस, कुर्नूल रेंज DIG रघुरामी रेड्डी की अगुआई में तड़के 3 बजे उस कैंप साइट पर पहुंचे जहां नायडू ठहरे हुए थे। वहां पहुंचकर उन्होंने नायडू को गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन पार्टी समर्थकों ने उन्हें रोक लिया। पुलिस और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई। जब कार्यकर्ता नहीं माने तो पुलिस ने कुछ को हिरासत में ले लिया।
वहीं चंद्रबाबू नायडू की रिहाई के लिए प्रार्थना करने उनकी पत्नी नारा भुवनेश्वरी मंदिर पहुंची। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के लिए नहीं, राज्य की जनता की आजादी के लिए लड़ रहे हैं। मैं चाहती हूं कि वह इस लड़ाई में जीतें।
शनिवार को गिरफ्तारी के बाद चंद्रबाबू नायडू के मेडिकल चेकअप की तस्वीर।
CBI ने 2021 में FIR दर्ज की थी
CBI ने 9 दिसंबर, 2021 को स्किल डेवलपमेंट घोटाले मामले में FIR दर्ज की थी। इसमें 25 लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, इस FIR में नायडू का नाम नहीं था। इस साल मार्च में CID ने स्किल डेवलपमेंट घोटाले की जांच शुरू की थी। CID का दावा है कि जांच में जो बातें सामने आई हैं, उनके आधार पर चंद्रबाबू को गिरफ्तार किया गया है।
क्या है स्किल डेवलपमेंट घोटाला
- साल 2016 में तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू ने बेरोजगार युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देने के तहत आंध्र प्रदेश स्टेट स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (APSSDC) की स्थापना की थी।
- APSSDC की 3,300 करोड़ की प्रोजेक्ट के लिए TDP सरकार ने सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की ग्रुप कंपनियों के साथ एक MoU साइन किया।
- इस करार के तहत सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया को स्किल डेवलपमेंट के लिए 3300 करोड़ की लागत से छह एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करना था।
- राज्य सरकार को प्रोजेक्ट के कुल लागत का 10 फीसदी भुगतान करना था, जबकि मदद के रूप में बाकी राशि सीमेंस और डिजाइन टेक को देना था।
चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के विरोध में TDP कार्यकर्ताओं ने तिरुपति में विरोध प्रदर्शन किया था।
CID ने जांच में कई खुलासे किए
CID ने अपनी जांच में पाया कि राज्य कैबिनेट से इस परियोजना को मंजूरी नहीं थी। इसके बावजूद बिना टेंडर के प्रोजेक्ट शुरू की गई। MOU के तहत सीमेंस कंपनी को अपनी तरफ से प्रोजक्ट में इन्वेस्ट करना था। हालांकि, कंपनी ने अपनी तरफ से कुछ भी निवेश नहीं किया।
इसे उलट राज्य सरकार की तरफ से आवंटित 371 करोड़ रुपए विभिन्न शेल कंपनियां- एलाइड कंप्यूटर्स, स्किलर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ईटीए ग्रीन्स में बांट दीं। इसके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।
CID ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि साल 2018 में एंटी करप्शन ब्यूरो को इस घोटाले की शिकायत मिली थी। हालांकि, तब सत्ता में बैठे लोगों ने जांच रोकने की कोशिश की और राज्य सचिवालय से जरूरी डॉक्यूमेंट्स हटा दिए। वर्तमान सरकार की जांच से पहले GST इंटेलिजेंस विंग और IT डिपार्टमेंट भी घोटाले की जांच कर रहे थे।
इस साल CID ने सरकारी गवाह बने एक आरोपी और तीन आईएएस अधिकारी के बयान के आधार पर APSSDC के पूर्व CEO अर्जा श्रीकांत को नोटिस भी जारी किया था। चंद्रबाबू की सरकार में पूर्व इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTC) अधिकारी अर्जी श्रीकांत APSSDC के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO थे।
आंतरिक जांच के बाद कंपनी ने प्रोजक्ट मैनेजर को निकाला
सीमेंस ग्लोबल कॉरपोरेट ऑफिस ने आंतरिक जांच बैठाई, जिसमें पाया कि प्रोजक्ट मैनेजर ने हवाला लेनदेन के रूप में प्रोजेक्ट का पैसा शेल कंपनियों को ट्रांसफर किया था। सीमेंस ग्लोबल ने आरोपी मैनेजर को नौकरी से निकाल दिया था।
Source: ln.run/ge2kk