राहुल गांधी और सोनिया गांधी 31 अगस्त को मुंबई पहुंचे। इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) की बैठक से पहले राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल ने दो विदेशी न्यूज पेपर्स के हवाले से कहा कि देश का पैसा बाहर भेजा जा रहा है। एक अरब (बिलियन) डॉलर भारत के बाहर गया। जो पैसा बाहर भेजा जा रहा है, वो पीएम के करीबी व्यक्ति का है।
राहुल और सोनिया गांधी के मुंबई पहुंचने पर ढोल-नगाड़े बजाकर स्वागत किया गया।
राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस की खास बातें
भारत का पैसा बाहर गया और देश में लौटा
अभी जी-20 का माहौल है। भारत के लिए जरूरी है कि यहां के आर्थिक परिवेश और कारोबारी क्षेत्र में सभी के लिए बराबर अवसर और पारदर्शिता रहे। आज के अखबारों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पूछा गया है।
दुनिया के अखबारों द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स में गौतम अडाणी के बारे में खबर है कि अडाणी परिवार से जुड़े व्यक्ति ने विदेशी फंड के जरिए अपने ही स्टॉक में निवेश किया।
अडाणी जी की कंपनियों के नेटवर्क के जरिए एक अरब डॉलर भारत से बाहर गया और अलग-अलग देशों से घूमकर वापस आया। इससे अडाणी समूह के शेयरों की कीमत बढ़ी। इन पैसों का बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स जैसी भारतीय संपत्तियों को हासिल करने के लिए इस्तेमाल हुआ।
बाहर गया पैसा किसका?
सबसे पहले यह सवाल उठता है कि यह पैसा किसका है? यह अडाणी जी का या किसी और का है? अगर किसी और का है तो किसका है? दूसरा सवाल यह है कि इसके पीछे मास्टरमाइंड कौन है? क्या विनोद अडाणी हैं? दो विदेशी नागरिक नासिर अली, चीन के चेंग चुंग लिंग भी इसमें शामिल हैं। ये विदेशी नागरिक कैसे भारत के शेयर बाजार को चला रहे हैं? चीन के नागरिक की क्या भूमिका है?
तीसरा सवाल है कि जिन्होंने इस मामले की जांच की और क्लीन चिट दी, उन सेबी चेयरमैन को बाद में अडाणी जी की कंपनी (NDTV) में डायरेक्टर कैसे बनाया गया? भारत की इमेज दांव पर है। इस बारे में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन और गहन जांच की जरूरत है। जी-20 के मेहमान यहां आ रहे हैं और यहां आकर वे पूछ सकते हैं कि ये विशेष कंपनी कौन सी है, जिसे प्रधानमंत्री के करीबी व्यक्ति चलाते हैं। उन्हें इतनी खुली छूट कैसे दी जा रही है?
जनवरी में हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई थी। इसमें गौतम अडाणी पर शेयर मैनिपुलिशेन के आरोप लगे थे। राहुल गांधी अडाणी मुद्दे पर कई बार सरकार पर निशाना साध चुके हैं।
OCCRP ने रिपोर्ट में 2 करीबियों का जिक्र भी किया
कई टैक्स हेवन देशों की फाइलों और अडाणी ग्रुप के आंतरिक ई-मेल का हवाला देते हुए OCCRP ने कहा कि उसकी जांच में कम से कम 2 ऐसे मामले सामने आए, जहां ‘रहस्यमयी’ निवेशकों ने इस तरह के ऑफशोर स्ट्रक्चर (गुमनाम फंड्स) के जरिए अडाणी के शेयर खरीदे और बेचे।
OCCRP ने दावा किया कि अडाणी परिवार के साथ निवेशक नासिर अली शबान अहली और चेंग चुंग-लिंग के लंबे समय से व्यापारिक रिश्ते हैं। गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी के ग्रुप की कंपनियों और फर्मों में ये डायरेक्टर और शेयर होल्डर के रूप में भी काम कर चुके हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि उनके निवेश का काम संभालने वाली कंपनी ने विनोद अडाणी की कंपनी को उनके निवेश में सलाह देने के लिए भुगतान किया था।
OCCRP क्या है?
ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की स्थापना 2006 में हुई, जो खुद को इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म बताती है। ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ऑफ जॉर्ज सोरोस इसके फाउंडर है। OCCRP की वेबसाइट के अनुसार, वह कंपनियों के बारे में रिसर्च करती है और उसकी रिपोर्ट मीडिया संस्थानों की मदद से सीरीज में पब्लिश करती है। यह यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया में काम करती है।
हिंडनबर्ग ने 8 महीने पहले शेयर मैनिपुलेशन सहित कई आरोप लगाए थे
8 महीने पहले इसी साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।
Source: ln.run/21yge