पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव का नामांकन भी पूरा हो गया है। ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव के लिए दाखिल किए गए नामांकन में सत्ताधारी TMC आगे रही है। राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, 22 जिलों की 63,229 ग्राम पंचायत सीटों के लिए सबसे ज्यादा TMC के 61,591 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है, जो करीब 97% है।
दूसरे नंबर पर भाजपा है, जिसने 60% सीटों पर 38,475 उम्मीदवार उतारे हैं। CPIM ने 56% सीटों पर (35,411) प्रत्याशी उतारे हैं। हालांकि, ग्राम पंचायत में प्रत्याशियों के मामले में कांग्रेस निर्दलीय उम्मीदवारों से भी पीछे रह गई है। जहां 16,335 निर्दलीय ने नामांकन भरा है, जबकि कांग्रेस की तरफ से सिर्फ 11,774 नामांकन दाखिल हुए हैं।
पंचायत चुनाव को लेकर बंगाल में झड़प जारी है। 4 जुलाई को साउथ 24 परगना में TMC और ISF कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई। इसके बाद इलाके में पुलिस बल तैनाती की गई।
कांग्रेस-CMP में समझौता
बंगाल की कुछ सीटों पर कांग्रेस-CPM ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। इसी तरह, आम आदमी पार्टी ने भी टीएमसी के साथ कोई मुकाबला नहीं करते हुए अपना उम्मीदवार इस चुनाव में नहीं उतारा है। एनपीपी ने भी कोई दावेदारी पेश नहीं की है।
धांधली: हज पर गए तृणमूल प्रत्याशी का पर्चा भरा, मामला कोर्ट पहुंचा तो रद्द
उत्तर 24 परगना में मिनाखां कुमारजोल ग्राम पंचायत के तृणमूल प्रत्याशी मेहरुद्दीन 4 जून से हज पर गए थे। वे 16 जुलाई को लौटेंगे, लेकिन उनके विदेश में रहने के बावजूद यहां नामांकन पत्र दाखिल हो गया। इस पर सीपीएम कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंची तो आयोग ने नामांकन खारिज कर दिया। आयोग ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया में तकनीकी खामी थी। अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।
सबसे बुजुर्ग और सबसे युवा प्रत्याशी
पश्चिम बर्दवान जिले के अमलाजोड़ा ग्राम पंचायत में BJP की उम्मीदवार 85 वर्षीय उमा रानी मिश्रा का कहना है कि सेवा के लिए कोई उम्र नहीं होती। दक्षिण दिनाजपुर के धलपाड़ा ग्राम पंचायत से 23 साल की चुमकी घोष को टीएमसी ने टिकट दिया है। मात्र 2 फुट की कदकाठी की चुमकी घोष हिली गवर्नमेंट कॉलेज में थर्ड इयर की छात्रा हैं।
मालदा गांव में सुविधा नहीं होने तक वोट देने वाले पर 10 हजार का जुर्माना
मालदा जिले का बड़ जगदीशपुर ग्राम। यहां सड़क, बिजली और पानी की सुविधा नहीं होने से गांव के लोगों ने मांग पूरी नहीं होने तक वोट का बहिष्कार किया है। ग्रामवासियों ने आपसी सहमति से फैसला लिया है कि अगर किसी दबाव में आकर कोई वोट देता है तो उसे 10 हजार का जुर्माना देना होगा। गांव की जूही बर्मन कहती है कि यहां समस्या होने से बेटे-बेटियों की शादी में भी परेशानी होती है।
कार्यकर्ताओं की घर वापसी से छुपा रुस्तम बन सकती है सीपीएम
34 साल तक बंगाल पर राज करने वाली सीपीएम इस पंचायत चुनाव में दमखम दिखाने को तैयार हैं। ग्रामीण इलाकों में पकड़ मजबूत बनाने का प्रयास करने वाली भाजपा के लिए सीपीएम खतरे की घंटी है। अभी बंगाल से सीपीएम का न तो कोई विधायक है और न ही कोई सांसद। लेकिन बीते दो साल में तस्वीर काफी बदली है।
पॉलिटिकल एनिलिस्ट का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के आतंक के कारण वामपंथी पार्टी के जो वोटर भाजपा के पाले में चले गए थे उनकी वापसी हो रही है। मुर्शिदाबाद जिले की एक सीट पर बीते मार्च में हुए उपचुनाव में कांग्रेस-सीपीएम गठजोड़ के उम्मीदवार की जीत इसका बड़ा सबूत है। राज्य के 10 जिलों में भाजपा मजबूत विपक्ष के तौर पर नजर आ रही है, तो 10 पर सीपीएम-कांग्रेस गठजोड़ है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में सीपीएम तृणमूल से मुकाबला कर रही है।
Source: ln.run/QHjM9