पश्चिम बंगाल के 2014 के शिक्षक भर्ती घोटाला में शुक्रवार को ED ने राज्य के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा के बीरभूम और कोलकाता के ठिकानों पर छापा मारा। उधर, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर इसी मामले से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने को कहा है।
इस मामले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी सहित कई लोग हिरासत में हैं।
अदालत ने मुख्य सचिव को 3 अप्रैल तक एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के पूर्व सचिव अशोक साहा, पश्चिम बंगाल सेकंडरी शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली और एसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुबीर भट्टाचार्य की जमानत याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई हुई।
पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने सुनवाई के दौरान बताया गया कि सरकार की मंजूरी नहीं मिलने से मुकदमा रुका हुआ है। इसलिए अदालत ने पहले CBI निदेशक को मंजूरी देने का निर्देश दिया था।
चक्रवर्ती ने कोर्ट को सूचित किया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
हालांकि, बार-बार अनुरोध के बावजूद, राज्य के मुख्य सचिव ने अभी तक अशोक साहा, सुबीरेश भट्टाचार्य और कल्याणमय गांगुली के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर फैसला नहीं किया है।
ED ने TMC के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा के घर पर छापा मारा
शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में शुक्रवार (22 मार्च) की सुबह ED ने पश्चिम बंगाल के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा के घर पर छापा मारा है। मीडिया रेपोर्ट्स के मुताबिक ED का कहना है कि शिक्षक भर्ती घोटाले में करोड़ों रुपए का लेनदेन किया गया था। हालांकि रुपए अभी बरामद नहीं हुए हैं।
8 मार्च 2024 को भी ED की टीम ने राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के दमदम शहर समेत कई जगहों पर छापे मारे थे। इससे पहले घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत शिक्षा विभाग से जुड़े अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला
मई 2022 में, CBI को 2014 और 2021 के बीच पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) और पश्चिम बंगाल सेकंडरी एजुकेशन बोर्ड द्वारा गैर-शिक्षण कर्मचारियों (ग्रुप सी और डी) और शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की जांच करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन, सिलेक्शन टेस्ट में फेल होने के बाद नौकरी पाने के लिए नियुक्त लोगों ने 5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की रिश्वत दी थी।
सीबीआई के अनुसार, 2014 और 2021 के बीच राज्य भर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नौकरी पाने के लिए उम्मीदवारों से TMC के नेताओं ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा रुपए लिए थे।
Source: ln.run/f6POu