भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपने संभावित कैंडिडेट्स को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बार हर राज्य की अलग-अलग राजनीतिक जरूरतों के हिसाब से प्रत्याशी तय हो सकते हैं, क्योंकि जातीय जनगणना और समुदाय आरक्षण की मांग के बीच सियासी समीकरण नए मोड़ ले रहे हैं।
इस बार ये भी मुमकिन है कि जीत की ज्यादा संभावनाओं वाली ए कैटेगरी की सीटों पर भी पार्टी प्रत्याशी बदल सकती है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने लोकसभा के लिहाज से संभावित प्रत्याशियों की लिस्ट बनाने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है।
यह समिति उम्र, जीत की संभावना, उम्मीदवार की जाति, लोकसभा क्षेत्र के विकास, सीट की समस्याएं तथा प्रमुख विरोधी दलों के संभावित उम्मीदवारों की प्रोफाइल बना रही है।
भाजपा राज्यों के प्रभारी महासचिव, राज्य के संगठन महासचिव और मुख्यमंत्री के फीडबैक के आधार पर सीटों का मूल्यांकन कर रही है।
आम चुनाव की घोषणा के पहले तय हो सकते हैं नाम
पार्टी के एक सीनियर मेंबर का कहना है कि जैसे पांच राज्यों के चुनाव घोषित होने से पहले कुछ सीटों के प्रत्याशियों के नाम को अंतिम रूप दे दिया गया, वैसे ही कुछ सीटों के प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले भी तय किया जा सकता है।
भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीट जीत सके, इसके लिए संभावित उम्मीदवारों के अलावा लोकसभा सीटों की स्क्रीनिंग जरूरी है और पार्टी इस काम में लग गई है।
जहां जिस जाति की संख्या ज्यादा, वहां उसी का प्रत्याशी
पार्टी के एक सीनियर लीडर का कहना है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना की मांग के चलते सीटों के जातीय समीकरण आने वाले दिनों में प्रभावित हो सकते हैं। इसे ऐसे समझें कि यदि OBC समुदाय बाहुल्य सीटों पर मौजूदा भाजपा सांसद दूसरी जाति का है तो उसकी सीट अगले लोकसभा चुनाव में बदल सकती है।
दिसंबर के दूसरे हफ्ते से मूल्यांकन और समीक्षा
भाजपा राज्यों के प्रभारी महासचिव, राज्य के संगठन महासचिव और मुख्यमंत्री के फीडबैक के आधार पर सीटों का मूल्यांकन कर रही है। दिसंबर के दूसरे हफ्ते से मौजूदा सांसदों के तरफ से किए गए डेवलपमेंट वर्क की समीक्षा का काम शुरू करने की योजना है। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में भाजपा के सहयोगी दलों के संभावित प्रत्याशियों को लेकर भी विचार होगा।
Source: ln.run/i6V2m