PM नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में एक संबोधन में UCC को लागू करने की सिफारिश की।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया है। AAP के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा- हम UCC का समर्थन करते हैं क्योंकि आर्टिकल 44 भी कहता है कि देश में UCC होना चाहिए। हालांकि, इसके लिए सभी धर्म के लोगों, राजनीतिक पार्टियों और संगठनों से सलाह-मशविरा कर आम सहमति बनाई जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ले 27 जून को भोपाल में यूनिफॉर्म सिविल कोड देशभर में लागू करने की वकालत की थी। इसके बाद कांग्रेस, AIMIM चीफ असदुद्दीन आवैसी समेत विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने भी मंगलवार को मीटिंग बुलाई और अपना पक्ष लॉ कमीशन के सामने रखने की बात कही।
इधर, बुधवार को लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का भी बयान सामने आया। जस्टिस अवस्थी बोले- UCC कोई नया मुद्दा नहीं है। हमने कंसल्टेशन प्रोसेस भी शुरू कर दी है। इसके लिए कमीशन ने आम जनता की राय मांगी है। कमीशन को यूनिफॉर्म सिविल कोड का नोटिफिकेशन जारी करने से लेकर अब तक 8.5 लाख रिस्पॉन्स भी मिल चुके हैं।
जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने देशद्रोह कानून पर भी बात की। उन्होंने कहा- देश की एकता और अखंडता के लिए देशद्रोह कानून जरूरी है। कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में भी देशद्रोह से जुड़ी हुई धारा 124 A को इंडियन पीनल कोड (IPC) में बरकरार रखने की सिफारिश की है।
PM मोदी ने की थी UCC लागू करने की वकालत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में भाजपा के 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) जल्द लागू करने की वकालत की। PM ने कहा- यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है। पसमांदा मुस्लिम राजनीति का शिकार हुए हैं। एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता। BJP यह भ्रम दूर करेगी।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने 27 जून की रात UCC पर इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। 3 घंटे तक चली मीटिंग में बोर्ड ने UCC के प्रस्तावित कानून का विरोध करने का फैसला किया।
वर्चुअल मीटिंग के दौरान AIMPLB के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली, AIMPLB के वकील सहित अन्य लोग मौजूद थे।
मौलाना ख़ालिद रशीद ने कहा- हमने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें शरीयत कानूनों का जिक्र है। इसे जल्द ही लॉ कमीशन को भेजा जाएगा।
हम लॉ कमिशन के सामने अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रखेंगे। हर बार चुनाव आने से पहले राजनेता UCC का मुद्दा उठाते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले फिर ऐसा ही किया जा रहा है।
ओवैसी से लेकर थरूर तक ने दिए बयान
- AIMIM चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, जब प्रधानमंत्री UCC की बात करते हैं तो वह हिंदू नागरिक संहिता का जिक्र करते हैं। प्रधानमंत्री अनुच्छेद 29 को नहीं समझते हैं। UCC के नाम पर देश की विविधता को कैसे छीना जा सकता है।
- मुस्लिम मौलवियों की संस्था जेयूएच के सचिव, नियाज अहमद फारूकी ने कहा, UCC पर पीएम के बयान लॉ कमीशन को प्रभावित कर सकते हैं। देश के प्रधानमंत्री होने के नाते, यह उनके कद के अनुरूप नहीं है और UCC पर इस तरह सार्वजनिक रूप से बयान देने से पहले उन्हें लॉ कमीशन से बातचीत करनी चाहिए थी।
- सपा सांसद एसटी हसन ने कहा – हम हदीस की हिदायतें नहीं छोड़ सकते। संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है।
- कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य आरिफ मसूद ने कहा, ‘PM को याद रखना चाहिए कि उन्होंने भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को अपनाया था। देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने नहीं देंगे।
- कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, जहां तक यूनिफॉर्म सिविल कोड का सवाल है। प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि UCC होना चाहिए लेकिन हमें सभी को साथ लेकर चलना होगा। आप किसी भी देश में किसी एक तबके को नहीं भूल सकते।
PM ने तीन तलाक पर बात की, AIMPLB बोली- कानून बन गया अब क्यों चर्चा
PM ने भोपाल में UCC के अलावा तीन तलाक पर भी बात की। उन्होंने कहा, तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया के मुस्लिम बाहुल्य देश इसे खत्म नहीं करते। मिस्र में 90% से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं। 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है।
PM के इस बयान को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा, इस मामले पर भारत में एक कानून बन गया है तो PM की इस चर्चा का क्या मतलब है।
तीन तलाक कहने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान करने वाला यह कानून महिला के लिए किसी तरह की मदद नहीं करता है। यह महिलाओं को आधे रास्ते में छोड़ देता है। बाद में उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। पहले सरकार को इन सभी चीजों को ठीक करना होगा।
PM ने तीन तलाक को लेकर कहा कि अगर यह इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में क्यों नहीं है।
AIMPLB बोली- दूसरे देश से तुलना ठीक नहीं
AIMPLB के प्रवक्ता इलियास ने प्रधानमंत्री के बयान पर कहा, ‘अन्य मुस्लिम देश क्या कर रहे हैं, इस पर यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस्लाम में अलग-अलग विचारधाराएँ हैं। किसी देश ने इसे पहले खत्म कर दिया तो उस समय स्थिति अलग होगी। दूसरे देशों की तुलना करना उचित नहीं है।
इलियास ने आगे कहा, तीन तलाक पर बार-बार जोर देने से ऐसा लगता है जैसे यह मुसलमानों में बहुत आम बात है। वास्तव में, यह जमीनी हकीकत से बहुत दूर है क्योंकि मुसलमानों में तलाक की दर कम है और इस्लाम किसी रिश्ते के टूटने की स्थिति में तलाक को अंतिम उपाय मानता है।
Source: ln.run/4wVxN