तमिल एक्टर विशाल का आरोप है कि सेंसर बोर्ड ने उनकी फिल्म को पास करने के लिए 6.5 लाख रुपए रिश्वत लिए। विशाल ने कहा कि सुबह उन्होंने पैसे दिए और शाम को उनकी फिल्म पास कर दी गई।
विशाल ने कहा, ‘मुझे अभी तक लगता था कि सिर्फ सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार होता है। मैं शॉक्ड हूं कि सिनेमा जगत में भी यह सब हो रहा है। पैसे देते ही शाम तक फिल्म को सर्टिफिकेट मिल गया। इस खेल में ऊपर से लेकर नीचे तक कई लोग इन्वॉल्व हैं।
पहली किश्त देते ही स्क्रीनिंग शुरू, दूसरे ट्रांजेक्शन में सर्टिफिकेट मिला
विशाल ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘मुझे पता चला कि इसके पहले भी कई फिल्म मेकर्स के साथ ऐसा हो चुका है। मुझसे कहा गया कि सर्टिफिकेट के लिए 4 लाख रुपए लिया जाता है, लेकिन आप लेट आए हैं तो आपसे 6 लाख रुपए लेंगे।
मुझसे कहा गया कि आपके पास एक घंटे का समय है, अगर करना हो तो बताइए, वरना छोड़ दीजिए। मुझे सर्टिफिकेट चाहिए था, इसलिए पैसा देने का फैसला किया। इनका सच बाहर लाना चाहता था, इसलिए ट्रांजेक्शन कैश न करके ऑनलाइन किया। मैंने तीन लाख रुपए का पहला ट्रांजेक्शन किया तो स्क्रीनिंग शुरू हो गई। दूसरा ट्रांजेक्शन करते ही फिल्म को सर्टिफिकेट मिल गया।’
विशाल की फिल्म मार्क एंटनी अच्छा परफॉर्म कर रही है। इसके हिंदी डब वर्जन के लिए अप्रूवल लेने वे सेंसर बोर्ड गए थे।
एक्टर का आरोप- बोर्ड के CEO भी भ्रष्टाचार में शामिल
विशाल ने कहा, ‘सेंसर बोर्ड में मेनका नाम की एक महिला हैं, उन्होंने कहा कि यह पैसा ऊपर तक जाता है। मतलब इसमें सभी इंवॉल्व हैं। CEO (रविंद्र भाकर) सबसे ज्यादा शामिल हैं। मैंने सोचा कि फिल्म रिलीज के बाद यह सच जरूर बाहर लाऊंगा। अगर मैं ऐसा नहीं करता तो मुझे रात में नींद नहीं आती। नागरिक होने के नाते मेरा फर्ज है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करूं।’
तमिल एक्टर विशाल ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर सेंसर बोर्ड में जारी भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कहा- दोषियों को सजा मिलेगी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, ‘भ्रष्टाचार के मामले में सरकार की पॉलिसी स्पष्ट है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी। केस की जांच के लिए एक अधिकारी मुंबई भेजा गया है।’ इधर मामला सामने आने के बाद इंडियन फिल्म एंड टीवी डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने भी इस मामले की CBI जांच करने की मांग की है।
पहलाज निहलानी बोले- प्रसून जोशी को इस्तीफा देना चाहिए
सेंसर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पहलाज निहलानी ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘जब घर का बड़ा ही घर पर नहीं होगा, तो ऐसी बातें तो सामने आएंगी ही। सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी कभी ऑफिस नहीं आते। इसकी वजह से बोर्ड के अधिकारी निरंकुश हो गए हैं। प्रसून जोशी इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। ये लोग प्रोड्यूसर्स का शोषण करते हैं।
मैंने इस ऑफिस में पानी भी अपने पैसे से पिया है। मुझ पर अगर प्रेशर होता था तो मैं सीधे रिजाइन देने को तैयार हो जाता था। मैं अपने ऑफिस में किसी बाहरी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करता था।’
प्रसून जोशी 2017 में CBFC के चेयरमैन बने थे। पहलाज निहलानी का आरोप है कि प्रसून घर पर ही फाइलें मंगाकर चेक करते हैं।
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